Tuesday 9 January 2018

CLASS 9 अंधेरी नगरी

20. धरती की शान (कविता)
स्वाध्याय
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए
कवि की दृष्टि में सर्वाधिक महान कौन है ?
कवि की दृष्टि में सर्वाधिक महान मनुष्य है I
आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
एक विद्यार्थी होने के नाते मेरे सारे काम कर सकता हूं जो मेरे कार्य क्षेत्र में आते हैं I
अन्य जीवों से मनुष्य महान कैसे हैं ?
अन्य जीव से मनुष्य महान है अन्य जीव अब भी बहुत पिछड़े हैं I जबकि मनुष्य ने जल ,थल और नभ पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है I
धरती सुधीर किसे कहा गया है ?
धरती सुधीर मनुष्य को कहा गया है I
धरती की शान कविता के रचयिता कौन हैं ?
धरती की शान कविता के रचयिता पंडित भरत व्यास है I
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सविस्तार लिखिए
कविता में कवि ने किन प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया है ? कैसे ?
कवि ने कविता में पहाड़, नदियां, धरती, आकाश, हवा जैसे प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण किया है I वह कहता है कि मनुष्य चाहे तो पर्वतों को फोड़ सकता है I वह चाहे तो नदियों के प्रवाह को मोड़ सकता है I वह अगर ठान ले तो धरती और आकाश को जोड़ सकता है I मनुष्य पवन सा गतिमान है I इसलिए वह आकाश में ऊंची से ऊंची उड़ान भरने में समर्थ है I
प्रस्तुत कविता में मनुष्य के प्रति किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है और उसमें हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
प्रस्तुत कविता में मनुष्य को सर्वशक्तिमान बताया गया है उसकी आत्मा परमात्मा का रूप है I इस दृष्टि से मनुष्य अजर अमर प्राणी है I इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य होने के कारण हमें अपने लक्ष्य ऊंचे रखने चाहिए I  हमें किसी काम को पहचान कर कठिन से कठिन कार्य करने में पीछे नहीं हटना चाहिए I
धरती की शान से कवि का क्या तात्पर्य है ? भाव स्पष्ट कीजिए I
धरती की शान से कवि का तात्पर्य मनुष्य की गौरवपूर्ण उप उपलब्धियां है I मनुष्य ने अपने बुद्धि बल से ऐसे अनेक कार्य कर दिखाएं हैं जो कभी असंभव माने जाते थे I मनुष्य ने सभ्यता और संस्कृति के उनके आदर्श कायम किए हैं I  उस ने धरती पर के सभी प्राणियों में अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित किया है I इसलिए कभी मनुष्य को धरती की शान मानता है I
मनुष्य के लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है I काव्य के आधार पर अपने विचार प्रकट कीजिए I
मनुष्य अत्यंत समर्थ प्राणी है I वह चाहे तो पहाड़ों को फोड़ सकता है I वह चाहे तो नदियों के प्रवाह की दिशा बदल सकता है I वह मिट्टी से अमृत नहीं छोड़ सकता है I इस प्रकार मनुष्य हर असंभव कार्य को संभव बना सकता है I
धरती की शान कविता का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए ?
धरती की शान कविता में कवि ने मनुष्य को धरती का सर्वशक्तिमान प्राणी बताया है I कवि के अनुसार मनुष्य में अनेक प्रकार की शक्तियां छिपी हुई है I मनुष्य अपनी शक्तियों को नहीं पहचानता I इसलिए वहां असहाय बन जाता है I सच यह है कि मनुष्य महाकाल बन सकता है I उसकी आवाज युग बदल सकती है I वह चाहे तो ऊंची से ऊंची उड़ान भर सकता है I इस प्रकार कविता का केंद्रीय भाव मनुष्य को अपनी शक्तियों को पहचानने के लिए प्रेरित करना है I
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
गुरु सा मतिमान पवन सा गतिमान तेरी नजर से भी ऊंची उड़ान है रे
मनुष्य के पास बुद्धि की कमी नहीं है I उसके पास बृहसपति जैसी प्रतिभा है I वह वायु जैसी गति रखता है I वह चाहे तो आकाश से भी ऊंचा उठ सकता है I  कवि कहना चाहते हैं कि यदि मनुष्य अपने अंदर छिपी शक्तियों को जागृत कर ले तो उसके लिए असंभव कुछ भी नहीं है I
धरती की शान तू भारत की संतान तेरी मुट्ठियों में बंद तूफ़ान है रे
प्रत्येक भारतवासी महान है I उसमे अनंत शक्तियां छिपी हुई है I वह अपने आप में तूफान जैसी शक्ति रखता है I वह चाहे तो उसकी उपलब्धियां धरती का गौरव बन सकती है I
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
भूचाल - भूकंप
हिमगिरी - हिमालय
वाणी - वचन
तूफानआंधी, कहर
अमृत - सुधा
धीर - धीरआयुक्त
हिम्मत - वीरता
नव - आकाश
निज - अपना
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
अमृत X जहर
अंबर X धरती
अमर X मृत्यु
धीर X अधीर
बीर X कायर
पाप X पुण्य
जीवन X मृत्यु

18. अंधेरी नगरी
स्वाध्याय
एक दो वाक्य में उत्तर लिखिए
महंत ने नगर की असलियत जानने पर क्या फैसला किया ?
महंत ने नगर की असलियत जानकर वहां रहने का निर्णय लिया I
अंधेरी नगरी में भाजी और खाजा किस भाव से बिकता था ?
अंधेरी नगरी में भाजी और खाजा दोनों टके सेर भाव था I
कसाई में भेड़ किससे मोड़ ली थी ?
कसाई ने भेड़ एक गडरिया से मोड़ ली थी I
महंत ने गोवर्धन दास को क्या सलाह दी थी ?
महंत ने गोवर्धन दास को उस नगर में रहने की सलाह दी थी I
राजा फांसी चढ़ने को क्यों तैयार हो गया ?
राजा फांसी चढ़ने को तैयार हो गया क्योंकि, महंत ने कहा था कि उस शुभ घड़ी में जो मरेगा वह सीधे स्वर्ग जाएगा I
पांच वाक्यों में उत्तर लिखिए
गोवर्धन दास ने खुश होकर अंधेरी नगरी में ही रहने का फैसला क्यों किया ?
गोवर्धन दास में महंत जैसी दूरदृष्टि नहीं थी I उसे बस अपना पेट भरने की चिंता रहती थी I अंधेरी नगरी में टके सेर मिठाई मिलती थी I गोवर्धन दास को मिठाई खाने का शौक था I अंधेरी नगरी में रहकर वह कम से कम पैसों में भी भरपेट मिठाई खा सकता था I इसलिए उसने अंधेरी नगरी में ही रहने का फैसला किया I
बकरी की मौत के लिए किस-किस को अपराधी ठहराया गया ? राजा ने किसे किसे और क्यों फांसी चढ़ाने का फैसला किया ?
बकरी की मौत के लिए कल्लू बनिया, दीवार बनाने वाले कारीगर, , छूने वाले कारीगर, कसाई, गडरिया और कोतवाल को अपराधी ठहराया गया I अंत में राजा ने कोतवाल को फांसी पर चढ़ाने का फैसला किया I
गोवर्धन दास पर पछताने की बारी क्यों गई ?
गुरु महंत का कहना ना मानकर गोवर्धन दास ने अंधेरी नगरी में ही रहने का निर्णय किया I उसने सोचा कि कम खर्चे में अधिक मजे के साथ वही रह सकता था I परंतु जब दुबला पतला होने के कारण कोतवाल फांसी से बच गया I तब सिपाहियों ने गोवर्धन दास को पकड़ा I सिपाहियों को न्याय अन्याय और दोषी और निर्दोष की परवाह नहीं थी I उन्हें तो फांसी पर चढ़ने लायक व्यक्ति की जरूरत थी I उनके द्वारा पकड़े जाने पर गोवर्धन दास को पछताने की बारी आई I
महंत गोवर्धन दास की जान बचाने में सफल कैसे हो गए ?
जब गोवर्धन दास को फांसी पर चढ़ाया जाने वाला था तभी उसके गुरु महंत जी वहां पहुंच गए I गुरु ने शिष्य के कान में कुछ कहा और फिर गुरु शिष्य फांसी पर चढ़ने के लिए आपस में लड़ने लगे I इस से सिपाही चकित हो गए I राजा मंत्री और कोतवाल भी वहां पहुंच गए I पूछने पर महंत ने बताया कि उस मुहूर्त में फांसी पर चढ़ने वाला सीधा स्वर्ग जाएगा I स्वर्ग के लालच में चौपट राजा खुद फांसी पर चढ़ गया I इस प्रकार महंत गोवर्धन दास की जान बचाने में सफल हो गए I
पाठ को अंधेरी नगरी शीर्षक क्यों दिया गया ?
एक दीवार गिरने के अपराध में कई सारे लोगों पर दोश लगाया जाता है पर अपने अपने बचाव में सब सफल हो जाते हैं I अंत में कोतवाल दोषी पाया जाता है I जिस का घटना से कोई संबंध नहीं है I राजा उसे फांसी देने का हुक्म देता है I कोतवाल की पतली गर्दन फांसी के बड़े फंदे के लायक नहीं है I इसलिए मोटे-ताजे गोवर्धन दास को पकड़ा जाता है I अंत में महंत की चतुराई से सारा राजा स्वयं फांसी पर चढ़ जाता है I इस प्रकार अंधेरी नगरी सचमुच अंधेरी नगरी है I  यहां सच और झूठ में कोई भेदभाव नहीं किया जाता I इसलिए पाठ को अंधेरी नगरी शीर्षक दिया गया है I
आशय स्पष्ट कीजिए
अंधेरी नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा
मूर्ख राजा के राज्य साधारणविशेष, उचित - अनुचित में कोई अंतर नहीं होता I ख्वाजा जैसी महंगी मिठाई भी भाजी के भाव बेची जाती है I न्याय अन्याय में भी कोई फर्क नहीं रखा जाता I राज्य में सब जगह अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है I
राजा के जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है ? हम को फांसी चढ़ओ, जल्दी करो I
राजा को बताया गया की फांसी पर चढ़ने की वह बहुत शुभ घड़ी है I उस समय फांसी पर चढ़ने वाला सीधा स्वर्ग जाए जा I  मूर्ख राजा स्वर्ग के लालच में गया I बुद्धि विवेक का उसमें घोर अभाव था I महंत की चाल में फंसकर वह फांसी पर चढ़ने के लिए तैयार हो गया I उसकी मूर्खता है उसका राजहठ बन गई I
सही शब्द चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए
क्षणभर , यथास्थान,  सवारी,  शिष्य,  स्वर्ग  
शब्द समूह के लिए एक शब्द दीजिए
न्याय मांगने वाला - फरियादी
तस्करी बेचने वाली स्त्री - कुंजड़िन
चमड़े के काल का बड़ा थैला – मशत
भेड़ बकरी चराने वाला - गडरिया
मिठाई बनाने वाला - हलवाई


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