Class 8 Chapter 6
प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
खड़गसिंह का ह्रदय परिवर्तन क्यों हुआ ?
बाबा भारती ने खड़क सिंह से प्रार्थना की थी कि वह घोड़ा भले ही ले जाए पर घोड़ा हथियाने की यह घटना किसी के सामने प्रकट ना करें I जिस तरह छल कपट करके उसने घोड़ा बाबा से छीना उसे सुनकर लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे I बाबा भारती के यह शब्द डाकू खड़क सिंह के कानों में गूंजते रहे I उसे लगा कि बाबा आदमी नहीं देवता है I उन्हें अपनी हानि कि नहीं गरीबों के नुकसान की चिंता है I ऐसे ऊंचे विचारों वाले पुरुष को धोखा देकर उसने अच्छा नहीं किया I उसे उनका घोड़ा लौटा देना चाहिए I इस प्रकार खड़क सिंह का हृदय परिवर्तन हुआ I
अब कोई गरीबों की सहायता से मुंह नहीं मुड़ेगा - ऐसा बाबा भारती ने क्यों कहा ?
खड़क सीने गरीब और अपाहिज बनकर बाबा भारती को धोखा दिया था I उन्हें डर था कि इस घटना का पता चलने पर लोग गरीबों दीन-दुखियों और अपाहिजों पर विश्वास नहीं करेंगे I लेकिन खड़क सिंह जिस शाम को बाबा भारती का घोड़ा ले गया उसी रात को वह उसे बाबा के अस्तबल में बांध गया था I अब खड़क सिंह की धोखेबाजी की बात फैलने का डर नहीं था I इसलिए बाबा भारती ने कहा कि अब गरीबों की सहायता से कोई मुंह नहीं मुड़ेगा I
यदि बाबा भारती की जगह आप होते तो क्या करते ?
यदि बाबा भारती की जगह में होता तो थाने में जाकर यह शिकायत दर्ज कराता की डाकू खड़क सिंह से मुझे खतरा है I वह मुझे धमकी दे गया है कि वह मेरा घोड़ा मुझसे छीन ले जाएगा I उस की धमकी के कारण मैं 24 घंटे भयभीत रहता हूं I मैं थानेदार साहब से प्रार्थना करता कि वह इस संबंध में ठोस कार्यवाही कर मुझे उस खतरनाक डाकू के भय से मुक्त करें I
इस घटना को किसी के सामने प्रकट ना करना ऐसा बाबा भारती ने क्यों कहा ?
बाबा भारती संत पुरुष थे I दीन-दुखियों के प्रति उनके हृदय में अपार करOONA थी I किसी अपाहिज की करुण पुकार सुनकर उनका ह्रदय निकल जाता था I उनकी इसी दयाल तू का लाभ उठाकर खड़क सिंह ने उन्हें धोखा दिया था I बाबा भारती को लगा कि अगर खड़क सिंह की इस धोखेबाजी का पता लोगों को लग जाएगा तो वह किसी गरीब या दीन-दुखी पर विश्वास नहीं करेंगे I फिर कोई किसी अपाहिज की मदद नहीं करेंगे I यही सोच कर उन्होंने खड़क सिंह से उसकी धोखेबाजी से गोडा लेने के बाद किसी के सामने प्रकट न करने के लिए कहा I
दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है ?
अकबर के इस प्रश्न के उत्तर में किस दरबारी ने हाथी को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया तो किसी ने शेर को I इस तरह दरबारियों ने अपने-अपने ढंग से जवाब दिए I जब इसका उत्तर देने के लिए बीरबल से कहा गया तब उन्होंने सूरज को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया I अकबर ने पूछा कैसे ? तब बीरबल ने यह कहानी सुनाई I एक बार हवा, पानी और सूरज में बहस छिड़ी I तीनों स्वयं को सबसे अधिक शक्तिशाली बता रहे थे I एक देवदूत ने उन तीनों की बातें सुनी I उसने कहा देखो वह यात्री कोट पहने जा रहा है I जो उसका कोर्ट उतरवा दें वह सबसे अधिक शक्तिशाली है I
सबसे पहले हवा आगे बढ़ी और तेज चलने लगी I उसने तूफानी रूप ले लिया I यात्री का कोर्ट फड़फड़ाने लगा I उसने हाथ से कसकर कोर्ट को पकड़ रखा I आखिर हवा ने हार मान ली I अब पानी ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी I जोर की बारिश होने लगी I यात्री पूरी तरह भीग गया पर उसने कोर्ट नहीं निकाला I अंत में सूरज की बारी आई इतनी तेज धूप निकली के यात्री गर्मी सहन न कर सका I वह पसीना-पसीना हो गया I परेशान होकर उसने कोर्ट उतार दिया I सबने सूरज की शक्ति का लोहा मान लिया I
बादशाह ने भी बीरबल की बात का समर्थन किया I
प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए
खड़क
सिंह बाबा भारती के पास क्यों आया ?
खड़क सिंह बाबा भारती के घोड़े को देखने की इच्छा से उनके पास आया I
बाबा भारती किस बात से डर गए थे ?
खड़क सिंह ने बाबा भारती से कहा था कि वह सुल्तान को उनके पास नहीं रहने देगा I खड़क सिंह की इसी धमकी से बाबा भारती डर गए थे I
सुल्तान पर सवार खड़क सिंह ने बाबा भारती से क्या कहा ?
सुल्तान पर सवार खड़क सिंह ने बाबा भारती से कहा कि अब यह घोड़ा मैं आपको नहीं दूंगा I
प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
बाबा भारतीय अपना समय कैसे बिताते थे ?
बाबा भारती गांव के बाहर एक छोटे से मंदिर में रहते थे और भगवान का भजन करते थे I उन्होंने एक घोड़ा पाल रखा था I जिसे वे सुल्तान कह कर पुकारते थे I भगवान के भजन से जो समय बचता उसे वह घोड़े की सेवा में लगाते थे I वह अपने हाथ से उसका घर हरा करते और उसे दाना खिलाते थे I संध्या समय में सुल्तान पर सवार होकर 8 -10 मील का चक्कर काटते थे I इस प्रकार बाबा भारती अपना समय बिताते थे I
बाबा भारती को किसका डर लगने लगा ? क्यों ?
खड़क सिंह बाबा भारती के पास आकर उनके घोड़े सुल्तान को देख गया था I ऐसा Banका घोड़ा उसने आज तक नहीं देखा था I वह उसकी चाल पर मुग्ध हो गया था I जाते-जाते वह बाबा भारती से कह गया था कि वह सुल्तान को उनके पास नहीं रहने देगा I वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ गए जाए उस पर अपना अधिकार समझता था I उसके पास बाहुबल था I इसलिए बाबा भारती को खड़क सिंह का डर लगने लगा I
खड़क सिंह सुल्तान को कैसे प्राप्त किया ?
1 दिन संध्या समय बाबा भारतीय सुल्तान पर सवार होकर घूमने निकले I रास्ते में उन्होंने एक अपाहिज की करुणा भरी आवाज सुनी I उसने बाबा से घोड़े पर राम वाला गांव पहुंचाने की प्रार्थना की I बाबा ने तरस खाकर उस अपाहिज को घोड़े पर बिठा लिया और स्वयं लगाम पकड़ कर चलने लगे I सहसा उस अपाहिज ने झटका देकर बाबा भारती के हादसे लगाम छीन ली और वह घोड़े को ले भागा I वह अपाहिज कोई और नहीं डाकू खड़क सिंह था I इस प्रकार खड़क सिंह ने सुल्तान को प्राप्त किया I
घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती ने घोड़े से कैसा बर्ताव किया ?
घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती के खुशी का ठिकाना ना रहा है I उसके गले से लिपट कर रोने लगे I वह बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगे और उसके मुंह पर थपकी देने लगे I कूड़े की वापसी पर संतोष प्रकट करके उन्होंने कहा कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुंह नहीं मुड़ेगा I इस प्रकार घोड़े को वापस बाबा भारती ने उससे वही बर्ताव किया जो एक पिता बहुत दिन से बिछड़े हुए पुत्र के मिलने पर करता है I
टिप्पणी लिखिए - बाबा भारती की महानता
बाबा भारती एक सदाचारी संत थे I उनका हृदय विशाल था और उनके विचार उनके थे I उनके हृदय में दिल दुख योग के प्रति अपार करो ना थी I दीन दुखियों की सेवा करना वह अपना कर्तव्य समझते थे I उन्हें अपनी हानि की अपेक्षा गरीबों और दीन दुखियों की हानि की अधिक चिंता थी I इसलिए उन्होंने खड़क सिंह से घोड़े को छल पूर्वक लेने के बाद किसी के सामने प्रकट न करने की प्रार्थना की I बाबा भारती के उनके विचारों ने खड़क सिंह जैसे कुख्यात डाकू का ह्रदय परिवर्तन कर दिया I अपनी हार को भी जीत में बदल लेने वाले बाबा भारतीय सचमुच एक ऊंचे दर्जे के इंसान थे I
है नाविक, तुम तूफानों का सामना करने के लिए अपनी पतवार तूफानों की दिशा में मोड़ दो I आज समुद्र ने जहर उगल दिया है I कठिन परिस्थितियां पैदा की है I लहरें भी उम्र कर तुम्हारी नाव को निगल जाना चाहती है I फिर भी परवाह नहीं I उधर समुद्र में तूफान उठा है तो कवि के ह्रदय में भी भावनाओं का तूफान उमड़ पड़ा है I
जैसी लहरों का स्वर ऊंचा हो रहा है I उनका जोर बढ़ रहा है I वैसे ही तुम भी तैयार होकर आंधियों के सामने उठ जाओ और स्वयं आजमा कर देखो कि तुम में कितनी हिम्मत है I जीवन में तूफानों का प्यार कभी कभी ही मिलता है I भाग्यशाली लोग ही जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं I
यह समुद्र और वह तूफान आज असीम दिखाई देते हैं I इनका सामना शायद ही कोई कर सके I लेकिन मनुष्य सब कुछ कर सकता है I हे नाविक तुम अपनी नाम लेकर चलो और सागर को भी बता दो कि मानव मिट्टी का पुतला है पर समुद्र के सामने हार नहीं मानेगा I मनुष्य ने कहीं भी अपनी हार नहीं मानी I
समुद्र के पास उसकी अपनी लहरों की शक्ति है पर नाविक के पास भी हिम्मत है ,आत्मविश्वास है I वह थकना नहीं जानता I जब तक नाविक की सांसे चल रही है तब तक वह अपनी नाव आगे बढ़ता ही जाएगा बढ़ाता है I नाविक तुमने अपनी हिम्मत और ताकत के सहारे सात समुद्र पार कर डाले हैं I अपनी नाव के साथ इसी प्रकार आगे बढ़ते रहो I हे नाविक, तुम अपनी पतवार तूफानों की ओर घुमा दो I
अभ्यास
प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ऐसा क्यों कहा है ?
तूफान कठिनाइयों का प्रतीक है I कठिनाइयों से घबराकर भागना कायरता है I कठिनाइयों का डटकर सामना करने में ही बहादुरी है I जीवन में आने वाली कठिनाइयां मनुष्य को बहुत कुछ सिखा देती है I उनसे हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है I इसलिए कवि ने नाभिक से कहा है कि तुम अपनी नाउ तूफानों की ओर घुमा दो I
सागर भी तो यह पहचाने मैं क्या पहचानने की बात कही गई है ?
सागर भी तो यह पहचाने इस वाक्य में मनुष्य के साहस और शक्ति की बात कही गई है I कवि कहना चाहते हैं कि ऐसी कोई कठिनाई नहीं है जिसका हल मनुष्य के पास ना हो I
समस्या आने पर हमें क्या करना चाहिए ?
समस्या आने पर हमें भयभीत नहीं होना चाहिए I शांति और धीरज से समस्या का उचित उपाय खोजना चाहिये I
इस अंधड़ में साहस दोनों का क्या अर्थ है ?
इस अंधड़ में साहस दोनों का अर्थ है यह तुम्हारे साहस की प्रतीक्षा का समय है I ऐसे कठिन समय में ही मनुष्य को अपने आप को परखने का मौका मिलता है I
आपके गांव में बाढ़ आए तो उस समय आप क्या करेंगे ? गांव छोड़कर चले जाएंगे या गांव वालों की मदद करेंगे ? अपने विचार कारण साह बताइए :
मेरे गांव में बाढ़ आ जाए तो मैं अपने गांव में ही रहूंगा और अपनी यथाशक्ति गांव के लोगों की मदद करूंगा I गांव पर आपत्ति आने पर गांव छोड़कर भागना तो कायरता है I आपत्ती के समय अपने गांव वालों की मदद करना हमारा कर्तव्य है I मैं अपने पड़ोसियों और मित्रों के परिवार की हर तरह से सहायत करूंगा I मैं यथाशक्ति उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयत्न करुंगा I उस समय यही मेरा धर्म होगा और मैं साहसपूर्वक इस धर्म का पूरी तरह पालन करूंगा
I
नीचे दिए गए वाक्यों में से रेखांकित शब्दों के विशेषण बनाइए और उनका वाक्य में उपयोग कीजिए :
इमानदारी - ईमानदार
यहां ईमानदार व्यक्ति है I
अमीरी - अमीर
इस होटल में अमीर लोग ही आते हैं I
ऊंचा - ऊंचा
योग्यता से ही उनका पद मिलता है I
वीरता - वीर
शिवाजी वीर पुरुष थे I
बुराई - बुरा
हमें बुरे लोगों से दूर रहना चाहिए I
स्वाध्याय
प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कवि सुमन ने तूफानों की और काव्य में मनुष्य की कौन सी विशेषता की ओर इशारा किया है ?
कवि कहते हैं कि मनुष्य सब कुछ कर सकता है I उसने कभी हार नहीं मानी I वह थकना नहीं जानता I जब तक उसमें सांस है तब तक वह आगे ही आगे बढ़ता रहता है I न मनुष्य के साहस की सीमा है और ना उसके आत्मविश्वास की I अपने अदम्य साहस और अद्भुत आत्मविश्वास के बल पर ही उसने सात सागर पार किए हैं I इस प्रकार प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य के अपार साहस ,अथक शक्ति और गजब के आत्मविश्वास की ओर इशारा किया है I
ज्वार कहां कहां उठा है ?
एक और समुद्र में ज्वार उठा है तो दूसरी और कवि के हृदय में भावनाओं का ज्वार उठा है I इस प्रकार समुद्र और कभी रजाई इन दो स्थानों पर ज्वार उठा है I
समुद्र में कैसा रूप धारण किया है ?
समुद्र में बड़े जोर का तूफान आया है I उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे वह जहर उगल रहा है I समुद्र से लहरे इस प्रकार उठ रही है I जैसे वे नाभिक की नाव को निकल जाएगी तूफानी समुद्र ऐसा लग रहा है I जैसे उसका सामना कोई नहीं कर सकता I सागर के ज्वार में बड़ी कठिन परिस्थितियां पैदा कर दी है I तूफानी समुद्र आज अपनी असीम शक्ति दिखाने पर तुला हुआ है I उसकी लहरों ने जैसे मनुष्य को पराजित करने की ठान ली है I इस प्रकार समुद्र में बना उग्र रूप धारण कर लिया है I
कवि ने मनुष्य को मिट्टी का पुतला क्यों कहा है ?
मनुष्य धरती पर जन्म लेता है I वह मिट्टी में खेल खेल कर बड़ा होता है I मिट्टी में उत्पन्न होने वाले पदार्थों से ही मनुष्य का पालन पोषण होता है I मिट्टी उसकी मां है I मनुष्य के मर जाने पर उसका शरीर मिट्टी में ही मिल जाता है I इस प्रकार मनुष्य अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक मिट्टी से जुड़ा रहता है I मिट्टी से मनुष्य किसी अभिनेता के कारण कवि ने मनुष्य को मिट्टी का पुतला कहां है I
मांझी का हाथ कब तक नहीं रुकता है ?
समुद्र अगर शक्तिशाली है तो मिट्टी का पुतला मांझी भी कम नहीं है I उसने अद्भुत साहस और अनोखी शक्ति है I इसलिए वह कभी थकता नहीं है I जब तक उसके शरीर में प्राण है I जब तक उसकी सांसो में चेतना है तब तक मांझी का हाथ रुकने का नाम नहीं लेता I वह संघर्ष करना नहीं छोड़ता I इस प्रकार मांझी अपने अंतिम सांस तक कार्य करता है I
इस कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :
तूफानों की ओर कविता में कवि ने बताया है कि यह संसार एक सागर है और प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन रूपी नाव का नाविक है I संसार में तूफ़ानों कठिनाइयों की कमी नहीं है I मनुष्य का कर्तव्य है कि वह उन कठिनाइयों में अपना धैर्य न खोए और साहस से उनका सामना करें I कठिनाइयों में ही मनुष्य के साहस बल और बुद्धि की परीक्षा होती है I इसलिए वह कठिनाइयों का स्वागत करें और उन पर विजय प्राप्त करें I
++++++++++++++++++++++++++++ 4. कर्मयोगी लाल बहादुर शास्त्री
अभ्यास
कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए
शास्त्री जी को निष्काम कर्मयोगी कहना अधिक उचित है I
शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था I बिना किसी फल की आशा के संपूर्ण भाव से कर्म में लगे रहते थे I जब भी उन्हें अपने कर्म का फल पाने के अवसर मिलते उन्होंने उनकी उपेक्षा की I फल पाने के लालच से उन्होंने कभी कोई काम नहीं किया I शास्त्री जी के इस स्वभाव को देखते हुए उन्हें केवल कर्मयोगी कहना पर्याप्त नहीं है I उन्हें निष्काम कर्मयोगी ही कहना अधिक उचित है I
शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू के अधिक करीब था I
गांधी जी देश के बहुत बड़े नेता थे I फिर भी उन में अद्भुत विनम्रता ,सादगी और सरलता थी I इन गुणों ने उन्हें अधिक महान और लोकप्रिय बना दिया था I गांधीजी के यह गुण लाल बहादुर शास्त्री में भी थे I इसलिए शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू से अधिक करीब था I
शास्त्री जी का संपूर्ण जीवन श्रम, सेवा, सादगी और समर्पण का अनुपम उदाहरण है I
शास्त्री जी कर्म को ईश्वर मान कर उस की पूजा के रूप में श्रम करते थे I देश और समाज की सेवा में ही उन्हें जीवन की सार्थकता लगती थी I उन्हें सादा भोजन और सादा पहनावा ही पसंद था I उन्होंने जो कुछ किया पूरी निष्ठा और लगन से किया I उनकी यह विशिष्टताएं बहुत कम लोगों में पाई जाती है I
स्वाध्याय
प्रश्नों के उत्तर लिखिए
शास्त्री जी ने देश की किस आकांक्षा को पूरा किया ?
प्रधानमंत्री के रुप में पंडित नेहरू एक समृद्ध राजनीतिक विरासत छोड़ कर गए थे I उनकी मृत्यु के बाद उसे कुशलतापूर्वक संभालकर शास्त्री जी ने देश की आकांक्षा पुरी की I शास्त्री जी का चरित्र निर्मल था I उनमें अद्भुत संकल्प शक्ति थी I राष्ट्र को लाभ पहुंचाना उनके हर करम का एकमात्र उद्देश्य रहता था I उनके इन्हीं गुणों के बल पर वह नेहरु जी की विरासत को संभालना और उसे आगे बढ़ाने का कठिन काम पूरा कर सके I
लाल बहादुर शास्त्री पर गांधीजी के आदर्शों का क्या प्रभाव पड़ा ?
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उसी में उनके परवरिश हुई I प्रधानमंत्री जैसे ऊंचे पद पर पहुंचने पर भी वह सामान्य ही बने रहें I विनम्रता ,सरलता ,सादगी और जन सेवा की भावना उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग बन गई थी I वह सारे गुण महात्मा गांधी जी के थे जो शास्त्री जी मैं अपने आप आ गए थे I गांधीजी की तरह उन्होंने अछूतोद्धार कार्यक्रम भी चलाया I इस प्रकार लाल बहादुर शास्त्री पर गांधी के आदर्शों का गहरा प्रभाव पड़ा I
शास्त्री जी के संसदीय जीवन की शुरुआत कैसे हुई ?
शास्त्री जी में कार्य के प्रति गहरी निष्ठा थी I वह मेहनत करने की अदम्य क्षमता भी रखते थे I अपने इन्हीं गुणों के कारण सन 1937 में वह संयुक्त प्रांत की व्यवस्थापिका सभा के लिए निर्वाचित हुए I स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कई बार में संसद के लिए चुने गए I परंतु उनके संसदीय जीवन की वास्तविक शुरुआत 1937 के निर्वाचन से ही हुई I
छात्रों के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने कौन से विचार व्यक्त किए ?
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने छात्रों से कहा था कि भविष्य में आप कुछ भी बने लेकिन सबसे पहले आप इस देश के नागरिक हैं I देश का संविधान आपको कुछ अधिकार देता है साथ ही आप पर कुछ कर्तव्यों का बाहर भी डालता है I देश में प्रजातंत्र होने के कारण प्रत्येक नागरिक को निजी स्वतंत्रता भी मिली है I इस स्वतंत्रता का उपयोग हमें समाज के हित में करना चाहिए I इस प्रकार छात्रों के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने संविधान द्वारा नागरिकों को मिली स्वतंत्रता के उपयोग के बारे में अपने विचार प्रकट किए थे I
Q-2
रीड - मेरुदंड
अमित - अटल
आधारशिला - न्यू
खाद - जमीन का उपजाऊपन बढ़ाने वाला पदार्थ
पल्लवित - विकसित , जिसमें पल्लव लगे हो
सौरभ - सुगंध
सभ्य - शिष्ठ
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इस इकाई से हम लाल बहादुर जी के जीवन में से कौन कौन से सदगुण ग्रहण कर सकते हैं ?
लाल बहादुर जी छोटे कद के बड़े व्यक्ति थे I उनके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना कर्तव्य निष्काम भाव से करना चाहिए I अपने उद्देश्य के प्रति हमारी दृढ़ आस्था हो I उसे पाने के लिए हमें कर्म में लगे रहना चाहिए तथा उसके प्रति हमारा संपूर्ण आत्मसमर्पण होना चाहिए I हमारे जीवन में श्रम ,सेवा ,सरलता ,विनम्रता और सादगी हो यह आवश्यक है I हम जो कहे वही करें और अपने राष्ट्र को लाभ पहुंचाने की वृत्ति रखें I इस प्रकार हम शास्त्री जी के जीवन से अनेक सदगुण ग्रहण कर सकते हैं I
एक था शेर I शेर को अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था I जंगल के प्राणी ने उनको सबक सिखाने की बात सोची I छोटी चींटी बोली “ मैं शेर का घमंड उतार दूंगी I“
चींटी अपने बल में गई और वहां से बहुत सी चीटियों को ले आई I शेर जहां सो रहा था वहां जाकर सभी चीटियां शेर के शरीर पर चढ़ गई I उसके पेट ,पीठ और टांगों में बुरी तरह काटने लगे I शेर उन्हें अपने पंजों से मारने की कोशिश करता था तब वह उसके बालों में छिप जाती थी I थोड़े ही समय में शेर आकुल-व्याकुल हो गया I उस चींटी ने शेर से कहा - वनराज इन चीटियों से परेशान होना आपको शोभा नहीं देता I आपको तो अपनी ताकत पर बहुत घमंड है ना I शेर ने कहा - चींटी बहन मैंने तुम से हार मान ली I अब मैं कभी अपनी ताकत पर घमंड नहीं करूंगा I मैं शेर हूं तो तुम सवा सेर हो I मुझे माफ करो I जंगल के प्राणियों ने खुश होकर भी चींटी का विजय जुलूस निकाला I
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निम्नलिखित वाक्यों में से अव्यव छांटिए
आज मैंने बहुत कम खाना खाया I
आज - क्रियाविशेषण अव्यय
हम आज घूमने जाएंगे I
अंजलि सोनल के आगे बैठी है I
आगे - संबंध बोधक अव्यव
गांधीजी सबसे आगे चल रहे थे I
मीनाक्षी और सालवी गांव जा रही है I
और - समुच्चय बोधक अव्यव
सोनल और मीना सिनेमा देखने गई है I
अरे ! यह क्या कर रहे हो ?
अरे - विस्मयादि बोधक अव्यव
अरे ! विजय तुम यहां कैसे ?
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5. दोहे - कबीर ,रहीम ,तुलसीदास
साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय I
मैं भी भूखा ना रहूं ,साधु न भूखा जाए II
हे प्रभु ,मुझे बस इतना ही अन्य और धन दीजिए, जिससे मेरे परिवार का निर्वाह हो जाए I ना मैं भूखा हूं और ना कोई साधु फकीर मेरे दरवाजे से भूखा जाए I
बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय I
काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हंसाय II’
जो व्यक्ति बिना सोचे समझे काम करता है, वह बाद में पछताता है I वह अपना काम तो बिगाड़ता ही है दुनिया में उसकी हंसी उड़ाई जाती है I
कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर I
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर II
कबीर कहते हैं कि मैं बाजार में सबके सामने खड़ा होकर भगवान से सब की कुशलता मांगता हूं - सबकी भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं I मेरी ना किसी से दोस्ती है और ना किसी से दुश्मनी I
रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुं मांगन जाहि I
उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहि II
रहीम कहते हैं कि वह मनुष्य मरे हुए हैं जो कहीं दूसरों के पास मांगने जाते हैं I परंतु उनसे पहले वह लोग मर चुके हैं जो मांगने वालों को देने से इंकार कर देते हैं I
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग I
चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग II
रहीम कहते हैं कि उत्तम स्वभाव के व्यक्ति पर बुरे लोगों की संगति का बुरा असर नहीं पड़ता I चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं फिर भी चंदन में सांपों का वेट नहीं फैलता I
बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोले बोल I
रहिमन हीरा कब कहे, लाख टका मेरा मोल II
रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी अपने मुख से अपनी श्मशान नहीं करते I प्रशंसा जो सचमुच बड़ा है, वह कभी बड़े बोल नहीं बोलता - बड़ी-बड़ी बातें नहीं करता I हीरा कभी नहीं कहता कि उसका मूल्य लाख रूपय है I
आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह I
तुलसी वहां न जाइए, कंचन बरसे मेघ II
तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस घर के लोगों का ह्रदय तुम्हें आया हुआ देख कर हर्षित ना हो जाए और जिनकी आंखों में मैं की भावना ना हो ,उस घर में कभी मत जाओ फिर भले ही वह वहां सोना ही क्यों न बरसता हो I
विद्या धन उद्यम बिना, कहो जु पावे कौन I
बिना धुलाई ना मिले, जो पंखा की पौन II
बिना परिश्रम किए विद्या धन किसमें पाया हो ? हाथ से हिलाई बिना तो पंखे की हवा भी नहीं मिलती I
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निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :
उद्यम - परिश्रम
उद्यम से ही सफलता मिलती है I
प्रकृति - स्वभाव
वह सरल प्रकृति का व्यक्ति है I
खैर - कुशलता
मैं आप सबकी खैर चाहता हूं I
कुसंग - बुरी संगति
कुसंग करने से हमारा पतन होता है I
कंचन - सोना
सास ने बहू को कंचन के कंगन दिए I
जप माला - जप करने की माला
दादाजी जप माला लेकर मंदिर जाते हैं I
दुख - गम ,खेद
किस स्पर्धा में हारने पर दुख होता है I
भुजंग - साप
भुजंग को देख कर ही लोग डर जाते हैं I
हर्ष - खुशी
हमें देखकर जिनका मन हर्ष से उसी के घर जाना चाहिए I
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प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
यदि भगवान आपको कुछ मांगने के लिए कहे तो आप क्या मांगना चाहेंगे ? यदि भगवान मुझे कुछ मांगने के लिए कहे तो मैं उनसे कहूंगा - प्रभु मेरी बुद्धि इतनी तीव्र हो जाएगी कठिन विषय भी मुझे सरल लगे I आपकी कृपा से स्वस्थ शरीर और ऐसी तीक्ष्ण बुद्धि पाकर मैं व्यापार के क्षेत्र में अच्छा यश पा और अपने माता-पिता तथा अन्य स्वजनों को किसी तरह का दुख ना पहुंचने दो I इतना ही नहीं मैं समाज की सेवा करने में भी समर्थ बन सकूं और अपने देश को भी कुछ लाभ पहुंचा सकूं I इस प्रकार में भगवान से अपने परिवार समाज और देश को सुखी बनाने की शक्ति और सामर्थ्य मांगूंगा I
अच्छे व्यक्ति की संगति से आप को क्या लाभ हो सकते हैं ?
अच्छे व्यक्ति की संगति से मैं अपनी बुरी आदतें छोड़ सकूंगा I मेरा चरित्र अच्छा बनेगा I मेरे विचार अच्छे बनेंगे I मेरी बुद्धि अच्छी बनेगी I मैं समय का सदुपयोग करूंगा I व्यसनों में धन और शरीर की बर्बादी होती है I अच्छे व्यक्ति की संगति मुझे इस बर्बादी से बचाएगी I उससे मुझे अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी I सभी बाधाओं को दूर करने के उपाय मिलेंगे I जीवन में सुख शांति से रहने का तरीका मिलेगा I इस प्रकार अच्छे व्यक्ति की संगति हर तरह से मेरे लिए वरदान सिद्ध होगी I
लोग धर्म के नाम पर कौन से आडंबर करते हैं ?
लोग धर्म के नाम पर दाढ़ी बढ़ाते हैं I सिर पर जटा जूट रखते हैं I तरह-तरह के तिलक करते हैं I अलग अलग तरह की मालाओं से जब करते हैं I गले में तरह-तरह की माला धारण करते हैं I धर्म के नाम पर लोग देव देवियों के भोग के नाम पर तरह तरह के व्यंजन बनाकर उनके सामने रखते हैं I भगवान पर सोने चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं I धर्म के नाम पर कहीं-कहीं पशुओं की बलि भी दी जाती है I इस प्रकार धर्म के नाम पर लोग अनेक प्रकार के आडंबर करते हैं I लोग किन किन कारणों से भीख मांगते हैं ?
कुछ लोग जीविका का कोई साधन ना होने पर मजबूर हो कर भीख मांगते हैं I कुछ लोग भूकंप ,बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों में सब कुछ नष्ट हो जाने पर भीख मांगने लगते हैं I
कुछ लोग अपाहिज हो जाने पर पेट भरने के लिए भीख मांगने लगते हैं I
गुंडे बदमाश लोग बच्चों का अपहरण कर उन्हें अपाहिज बना देते हैं I तब वह बच्चे दुष्टों के लिए भीख मांगते हैं I
कुछ कामचोर और बेशर्म लोग मेहनत करने से बचने के लिए भीख को ही अपना व्यवसाय बना लेते हैं I
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स्वाध्याय
कबीर साईं से कितना मांगते हैं ?
कबीर संग्रह करना उचित नहीं समझते हे I भगवान से उतना ही अन्य और धन मांगते हैं जितना उनके परिवार के निर्वाह के लिए आवश्यक है I उनके परिवार में कोई भूखा ना रहे और दरवाजे पर आया हुआ कोई साधु फकीर भी भूखा ना जाए I कबीर इससे अधिक पाने की इच्छा नहीं करते I
बिना सोचे कार्य करने से क्या होता है ?
सोच समझ कर कार्य करना ही बुद्धिमानी है I बिना सोचे समझे कार्य करने से कार्य बिगड़ जाता है I कार्य बिगड़ने से पछतावा होता है I इतना ही नहीं दुनिया में हंसी होती है I लोग तरह-तरह के ताने मार कर मजाक उड़ाते हैं I इस तरह बिना सोचे समझे कार्य करने वालों को उसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है I
चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम क्या कहते हैं ?
रहीम मानते हैं कि उत्तम स्वभाव वाला व्यक्ति बुरे लोगों के साथ रहे तो भी उनसे प्रभावित नहीं होता I चंदन के पेड़ पर सांप लिपटे रहते हैं परंतु चंदन में उन सांपों का विष व्यापत नहीं होता I सांपों के साथ रहकर भी चंदन उनके विश से अछूता ही रहता है I इस प्रकार चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम कहते हैं कि अगर व्यक्ति उत्तम कोटि का है तो वह संसार में रहकर यहां की बुराइयों से अलग रहता है I
रहीम बड़े लोग की क्या विशेषता बताते हैं ?
रहीम कहते हैं कि बड़े लोग कभी अपने मुख से अपनी बड़ाई नहीं करते I वह कभी बड़े बोल नहीं बोलते I बड़ी-बड़ी बातें कर अपना बड़प्पन दिखाना उनके स्वभाव में नहीं होता I जैसे हीरा कीमती रत्न होता है पर स्वयं अपनी कीमत नहीं बताता I उसी तरह बड़े लोग खुद कभी अपनी प्रशंसा नहीं करते I तुलसीदास किसके घर नहीं जाना चाहते ?
तुलसीदास अपनेपन की भावना को बहुत महत्व देते हैं I वह कहते हैं कि जिस घर के लोग हमें आया हुआ देखकर हर्ष का अनुभव ना करें I हमें देखकर जिनकी आंखों में प्यार की चमक ना पैदा हो I उस घर में भले सोना बरसता हो फिर भी वह वहां जाना नहीं चाहते I
इस इकाई के दोहों में से आप कौन से सद्गुण ग्रहण करेंगे ?
इस इकाई में संत कबीर, कवि रहीम और संत तुलसीदास के दोहे दिए गए हैं I कबीर की सीख है कि हम आवश्यकता से अधिक पाने की इच्छा ना रखे, जो भी काम करें सोच समझ कर करें, अपने मुख से अपनी प्रशंसा करने से बच्चे, बिना स्वार्थ के सबका भला चाहे I रहीम जी सीख देते हैं कि हम दूसरों से कुछ भी ना मांगे, अपने स्वभाव को हमेशा उत्तम बनाए रखें I तुलसीदास जी प्रेम को धन से अधिक महत्व देते हैं I वह विद्या धन पाने के लिए परिश्रम करना जरूरी समझते हैं I इस प्रकार इस इकाई के दोहों से हम दान प्रियता, संतोष समानता, सत्संगति, विनम्रता, परिश्रम, प्रेम आदि सद्गुण सीखते हैं I
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निम्नलिखित जवाब मिले ऐसी पहेलियों का निर्माण कीजिए :
तन है हरा, मुंह है लाल
पिंजरे में रख कर लो मुझे कल
सवेरे बोलता हूं नित्य राम राम
खाता हूं हरी मिर्च अमरुद आम - तोता
पंख नहीं है फिर भी मैं उड़ती
बस एक धागे से जमीन से जुड़ती
बातें खूब हवा से करती
कट जाए धागा जमीन पर गिरती - पतंग
खींची करके शोर मचाती
सुबह होते ही सब को उठाती
चहक चहक कर जाती
गाने फुदक फुदक कर झुकती दाने - चिड़िया
Thanks a lot!! 😀😃
ReplyDeleteIt helped me too much!!!
Me too!!!😊😊
DeleteCan u please give me the summary and question answers of Pehli Boond Kavita please
ReplyDeleteThank you very very much👌👍
ReplyDeleteThank you.. it really helped me♡
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